December 23, 2024
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भगवान नहीं तो भगवान से कम नहीं हैं बाबा साहब अम्बेडकर बाबा साहब अंबेडकर उन्न चंद् विभूतियों में से हैं जिनकी तारीफ में शब्द भी कम पड़ जाते हैं | जिस दौर में दलितों की परछाई से भी लोग दूर भागते थे |

उस दौर में उनका इतना ज्यादा वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनकी शिक्षा, उनके विचारो को लेकर पंडित नेहरू से पटेल तक सभी उनके मुरीद थे |

सबसे मुश्किल दौर में जब छुआछूत अपने चरम पर थी | तब बाबा साहब ने दलित समाज के हक के लिए लड़ाई लड़ी | उनके लिए आरक्षण की मांग और उसमें सफल हासिल की |

 

केवल किसी करोड़पति के अरबपति बनने पर कोई देश या समाज तरक्की नहीं कर सकता देश और समाज तरक्की के रास्ते पर चलता है जब सबसे अंतिम पंक्ति में खड़ा होने वाला व्यक्ति दबा कुचला हुआ व्यक्ति अपने पांव पर खड़ा होता है |

 

आज कुछ प्रमुख सवाल है दलितों के ऊपर अत्याचार पिछले कुछ सालों में क्यों बढ़ रहे हैं? पिछले 10 वर्षों से ज्यादा मोदी सरकार का देश में राज है लेकिन दलितों पर अत्याचार कम होने की बजाये बढ रहे हैं |

 

1. 400 सीट आने पर संविधान बदलने की बात बीजेपी के कई सांसदों ने की, यहां बीजेपी के पदाधिकारियो ने की, उनके ऊपर क्या कार्यवाही हुई?

2. अम्बेडकर अम्बेडकर नाम जपने से देश के गृह मंत्री अमित शाह को आपत्ति क्यों है?

3. कौन लोग हैं जो इतने सालों के अत्याचार झेलने वाले दलितो को फिर से हाशिया पर लाना चाहते हैं हैं |

कुछ दिन पहले दलित पुलिसकर्मि की बारात पर लोगों ने पत्थर फेंके, उसको घोड़ी पर से उतार पीटा गया डीजे तोड़ दिया गया | तो कहीं पानी का जग छू लेने भर से दलित की हत्या कर दी गई, ऐसी दुखद खबरें रोज़ सुनाने को मिल रही है किन कर्मों की सजा दी जा रही इनको जिनका कोई कसूर नहीं | देश की सबसे बड़ी मेहनतकश आबादी पर इतना अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता | दलितों के हक में चन्द्रशेखर रावण जहां अपनी आवाज को बुलंद करते हुए दिखाते हैं वहीं दूसरे और राहुल गांधी प्रियंका गांधी या मलिका अर्जुन खड़से दिखाते हैं |

यूपी बिहार जहां दलित कमजोर दिखाई पड़ते हैं, वहीं पंजाब में दलित मजबुत अवस्था में है लेकिन फिर भी पंजाब के दलित नेता की कोई बुलंद आवाज उनके पक्ष में दिखाई नहीं पड़ती |

कभी दलितों की मुख्य आवाज रही, मायावती की आवाज सुस्त दिखाई देती है या समझौता वादी दिखाई पड़ रही है, पिछले कुछ सालों से जब से केंद्र में बीजेपी सत्ता में आई है | कहीं 400 सीट नहीं आने पर झुंझलाहट तो नहीं जो देश के गृहमंत्री अमित शाह के शब्दों में दिखाई पड़ रही है कि क्यों अंबेडकर नाम जपते रहते हो ? इतना भगवान का नाम लिया होता तो स्वर्ग मिल जाता |

जिस संविधान के कि वजह से आपकी सरकार है और आप देश के गृह मंत्री बने हैं और उस संविधान के निर्माता को सम्मान देना आपकी सरकार की प्रथमिकता होनी चाहिए, विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और माफ़ी की मांग की |

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