राम नाम की लूट मची है लूट सके तो लूट
भारतीय सेना की जमीन पर अड़ानी रवि शंकर और रामदेव का नाम कैसे जुड़ गया ?
(ब्यूरो)अयोध्याः उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद इलाके के आसपास जमीनों की खरीद को लेकर होड़ मची है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि रामलला के मंदिर के शिलान्यास से पहले ही प्रदेश के कई वीआईपी शख्सियतों तथा उद्योग और आध्यात्म जगत की बड़ी हस्तियों ने अयोध्या के आसपास बड़ी मात्रा में जमीनों की खरीद की है। प्रदेश के बड़े अधिकारियों के अलावा इनमें योग गुरु बाबा रामदेव के करीबी, श्री-श्री रविशंकर और अडानी ग्रुप की एक सहयोगी कंपनी भी शामिल है। कहा जा रहा है कि इन तीनों ने जिस जगह पर जमीन खरीदी है, उसे सेना के बफर जोन के रूप में नोटिफाई (अधिसूचित) किया गया था। इस खरीद-फरोख्त के सा महीनों बाद अब राज्यपाल ने इन इलाकों को डिनोटिफाई कर दिया है।
बीते दिनों इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें अयोध्या के आसपास जमीनों की खरीद को लेकर आरटीआई से प्राप्त जानकारी का प्रकाशन किया गया था। इसमें बताया गया था कि अयोध्या के राम मंदिर से सिर्फ 5 किमी दूर माझा जमथरा नाम के निर्जन गांव में अडानी ग्रुप की सहायक कंपनी होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस ने 1.4 हेक्टेयर के आसपास जमीन खरीदी थी। यह खरीददारी नवंबर 2023 में पूर्व भाजपा विधायक सीपी शुक्ला की फर्म से की गई थी। शुक्ला की फर्म के ने इस जमीन को एक साल पहले ही अयोध्या के एक निवासी से खरीदा था। होमक्वेस्ट इंफ्रास्पेस से पहले इसी गांव में फरवरी 2022 में श्री-श्री रविशंकर की धर्मार्थ संस्था आर्ट ऑफ लिविंग ने भी 5.31 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। हरियाणा के योग आयोग के अध्यक्ष जयदीप आर्य और राकेश मित्तल समेत चार लोगों ने माझा जमथरा में ही 3.035 हेक्टेयर की जमीन जुलाई 2023 में खरीदी थी। ये चारों योगगुरु रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से भी जुड़े हैं।
‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये खरीददारी जिन इलाकों में हुई है, उसे उत्तर प्रदेश सरकार ने बफर जोन के रूप में अधिसूचित कर रखा था। बताया गया कि ये जमीनें सेना की फील्ड फायरिंग और तोपखाना प्रैक्टिस के लिए आरक्षित सेना की जमीन के ठीक बगल में है। नियम ये है कि अधिसूचित (नोटिफाई) भूमि में किसी की निजी संपत्ति हो सकती है, जिसे वे खरीद या बेच सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इसका उपयोग सीमित तौर पर करेंगे ताकि सेना जब राज्य सरकार को फील्ड फायरिंग प्रैक्टिस को लेकर सूचित करे तब इन इलाकों को खाली कराया जा सके। मोटे तौर पर इन जमीनों का प्रयोग खेती के लिए किया जाना चाहिए।
हालांकि, माझा जमथरा की इन जमीनों को अब डिनोटिफाई कर दिया गया है। अयोध्या के जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने इस फैसले की पुष्टि की है। प्रशासन का कहना है कि यह विशेष गांव विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमि पर है, इसलिए इसे डिनोटिफाई करने का फैसला लिया गया है। यह भी बताया गया कि सरकार इस जमीन पर मंदिर और संग्रहालय बनाने की योजना पर काम कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि डिनोटिफिकेशन के इस फैसले का उन संस्थाओं या व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, जिन्होंने वहां जमीनें खरीदी हैं। जाहिर है कि इस खरीददारी के महीनों बाद जमीनों को डिनोटिफाई किया गया है, जिसे लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।
नई अधिसूचना के मुताबिक, अगस्त 2020 से जुलाई 2025 तक 14 गांवों में 5 हजार 419 हेक्टेयर जमीनों को अधिसूचित किया गया था। लेकिन इनमें से सिर्फ 894.7 हेक्टेयर जमीन जो माझा जमथरा के अंतर्गत आती है, उसे ही खासतौर पर डिनोटिफाई किया गया है। इन जमीनों को नोटिफाई या डिनोटिफाई करने का अधिकार राज्यपाल के पास है, जिन्होंने 30 मई 2024 को माझा जमथरा गांव के इस क्षेत्र को डिनोटिफाई कर दिया।
किसी भी क्षेत्र की बात कर ले वहां पर अडानी का नाम जरूर उछल रहा है हालांकि राहुल गांधी संसद में इस पर मुख्य रूप से आवास उठाते रहे हैं और इस वर्ष जो चुनाव परिणाम आए हैं उसे पता चलता है कि लोग राहुल गांधी की बात को सीरियसली लेने लगे हैं की हर जगह अडानी का नाम कैसे आगे आ रहा है |