बंबई (ब्यूरो) उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वह कुछ मुद्दों पर त्वरित फैसले लेती है, लेकिन शहीद की विधवा को आर्थिक लाभ देने के संबंध में निर्णय लेने में देरी कर रही है. न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेने में सरकार की देरी स्वीकार्य नहीं है. |पीठ दिवंगत मेजर अनुज सूद की विधवा आकृति सूद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में 2000 और 2019 में जारी दो सरकारी प्रस्तावों के तहत पूर्व सैनिकों के लिए (मौद्रिक) लाभ का अनुरोध किया गया है. |मेजर सूद दो मई, 2020 को उस वक्त शहीद हो गए थे जब वह बंधक बनाए गए लोगों को आतंकवादियों के चंगुल से बचा रहे थे. उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, केवल वे लोग इस राहत और भत्ते के पात्र हैं जिनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ है या जो लगातार 15 साल तक राज्य में रहे हैं. |पीठ को बृहस्पतिवार को सहायक सरकारी वकील पी जे गव्हाणे ने सूचित किया कि इस मुद्दे पर निर्णय कुछ प्रशासनिक कारणों से चार सप्ताह के बाद ही लिया जा सकता है और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है|