केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ट्रैप कार्यवाही के दौरान सीजीएसटी (एंटी-इवेजन/Anti-Evasion), मुंबई पश्चिम आयुक्तालय के एक अधीक्षक एवं दो निजी व्यक्तियों – जिनमें से एक सीए है, सहित तीन आरोपियों को परस्पर बातचीत पर तय की गई 60 लाख रूपये की अनुचित मांग में से 20 लाख रूपये रिश्वत की आंशिक धनराशि स्वीकार करने के दौरान गिरफ्तार किया। मांगी गई कुल रिश्वत राशि में से 30 लाख रूपये की राशि भी कथित तौर पर हवाला के माध्यम से पहले भुगतान की गई थी। सीबीआई ने घूसखोरी आदि के आरोपों पर सीजीएसटी, मुंबई के अधिकारियों ( CGST कमिश्नर दीपक कुमार शर्मा, जॉइंट कमिश्नर राहुल कुमार , जीएसटी सुपरिंटेंडेंट निखिल कुमार गुप्ता बजिंदर जनवा चार्टर्ड अकाउंटेंट राज अग्रवाल ) सहित 8 आरोपियों के विरूद्ध मामला दर्ज किया, जिसमें एक अपर आयुक्त, एक संयुक्त आयुक्त, 4 अधीक्षक एवं एक चार्टर्ड अकाउंटेंट सहित 2 निजी व्यक्ति शामिल है। यह आरोप है कि जब शिकायतकर्ता 04 सितंबर की शाम को सीजीएसटी कार्यालय, सांताक्रूज़ गए तो उन्हें पूरी रात कार्यालय में रोके रखा गया एवं लगभग 18 घंटे बाद 05 सितंबर को रिहा कर दिया गया।
यह भी आरोप था कि शिकायतकर्ता को रोके जाने (Confinement) के दौरान, एक आरोपी अधीक्षक, सीजीएसटी (रिश्वत लेने वाले) ने उसे गिरफ्तार न करने के लिए 80 लाख रूपये की रिश्वत की मांग की, जिसे बाद में घटाकर 60 लाख रूपये कर दिया गया। आगे, यह आरोप भी है कि उक्त अधीक्षक के तीन अन्य सहयोगियों (सभी सीजीएसटी के अधीक्षक) ने भी शिकायतकर्ता पर दबाव डालने में उसका साथ दिया, जिसमें बार-बार बल प्रयोग करना एवं गालियां देना शामिल था।
कथित तौर पर, शिकायतकर्ता को सीजीएसटी अधिकारियों द्वारा उसे गिरफ्तार न करने एवं सीजीएसटी द्वारा जारी जांच में उसका पक्ष लेने हेतु अनुचित लाभ की मांग के बारे में बताने के लिए बंधन (confinement) में रखने के दौरान उसके चचेरे भाई को फोन करने के लिए मजबूर किया गया था। यह भी आरोप है कि शिकायतकर्ता के चचेरे भाई ने बाद में एक आरोपी सीए से संपर्क किया, जिसने आगे आरोपी जेसी, सीजीएसटी सहित अन्य आरोपी निजी व्यक्ति व वरिष्ठ सीजीएसटी अधिकारियों से संपर्क किया। आरोपी सीए एवं अन्य आरोपी निजी व्यक्ति दोनों मध्यरात्रि के दौरान सीजीएसटी कार्यालय गए और सीजीएसटी अधिकारियों के साथ रिश्वत पर बातचीत की। यह भी आरोप है कि रिश्वत की माँग 60 लाख रूपये तय की गई, जिसे आरोपी सीए के माध्यम से सीजीएसटी अधिकारियों तक पहुँचाई जानी थी। परस्पर बातचीत पर तय की गई 60 लाख रूपये की रिश्वत में से 30 लाख रूपये कथित तौर पर शिकायतकर्ता के चचेरे भाई ने एक अंगडिया (Angadia) के माध्यम से दिए थे तथा केवल उसके बाद ही शिकायतकर्ता को अगले दिन सीजीएसटी कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी गई थी।
सीबीआई ने जाल बिछाया एवं आरोपी सीए को सीजीएसटी अधिकारियों की ओर से रिश्वत की शेष राशि में से 20 लाख रूपये स्वीकार करने के दौरान रंगे हाथों पकड़ा। आगे, रिश्वत राशि नियंत्रित रूप से देने (Controlled Bribe) की प्रक्रिया में, अन्य आरोपी निजी व्यक्ति तक पहुंचा दी गई, जिसे आगे आरोपी अधीक्षक, सीजीएसटी (रिश्वत स्वीकारने वाला) के माध्यम से सीजीएसटी अधिकारियों को रिश्वत पहुंचानी थी। आगे की ट्रैप कार्यवाही के दौरान, आरोपी अधीक्षक, सीजीएसटी (रिश्वत स्वीकारने वाला) ने दूसरे आरोपी निजी व्यक्ति को रिश्वत स्वीकारने के लिए ओशिवारा पुलिस स्टेशन, मुंबई के पास मिलने हेतु बुलाया। इसके पश्चात, उक्त आरोपी अधीक्षक, सीजीएसटी को भी सीबीआई टीम ने पकड़ लिया।
सीबीआई ने ट्रैप कार्यवाही के दौरान रिश्वत लेते हुए उक्त तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्हें सीबीआई मामलों की विशेष अदालत, मुंबई के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने गिरफ्तार अधीक्षक सीजीएसटी और सीए को 10 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा। गिरफ्तार निजी व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। मुंबई एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थित आरोपी व्यक्तियों के आधिकारिक व आवासीय परिसरों में 09 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिससे विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए।